हजारो ख्वाईशें ऐसी
जो साकार हो न पाई
फिर भी मेरा मन है प्यासा
उसी लव मै जलने की एक आशा
मैने दुंढा है सुकुन
हर दर्द के पंखडियो मे
तेरे यादों के जरा जरा पे
मकबुल है मेरा आशियाना
मैने कहा है मेरे मुकद्दर को
बावजुद तेरे हजार कोशिशो के
हरा रहेगा मेरी ख्वाबों का
एक जलवा मेरा आशियाना
तुझे सौगात है हर दर्द की
जो सितम उठाये है मैने उल्फत मे
मेरी तो है गुफ्तगु उनकी रुह से
फिर फासलो कि क्या अहमिहयत
मैने डाली है कश्ती पानी मे
समंदर भी है बेहोश सुनामी से
कश्ती के हजार टुकडो पे
मैने लिखा है नाम तुम्हारा
मै क्युं सुनाऊ यह दास्ता
बार बार तुझे मगर
तु तो है ना मुराद पत्थर
तेरा रुह से क्या वास्ता
मै पहुंचा हुं उस मुकाम पे
खुदा भी कुछ बिघाड न पाये
अरे मै तो रुह का सौदागर
तु तो सिर्फ दर्द का बेपारी
ओ खुदा अब तो रहम कर
सिख ले दानत इसी आदमी से
दर्द के बेपार को छोडकर
तु भी लहरा दे परचम रुह का
मेरे विस्मिल...
अब भी है एक ख्वाईश बाकी
हम दोनो के रुह की मजार पर
तु भी चढा दे तेरी ओर से एक चादर
ऒर ढांल एक तो आंसु
परवरदिगार तेरी आंखो से मगर
सुधाकर
जो साकार हो न पाई
फिर भी मेरा मन है प्यासा
उसी लव मै जलने की एक आशा
मैने दुंढा है सुकुन
हर दर्द के पंखडियो मे
तेरे यादों के जरा जरा पे
मकबुल है मेरा आशियाना
मैने कहा है मेरे मुकद्दर को
बावजुद तेरे हजार कोशिशो के
हरा रहेगा मेरी ख्वाबों का
एक जलवा मेरा आशियाना
तुझे सौगात है हर दर्द की
जो सितम उठाये है मैने उल्फत मे
मेरी तो है गुफ्तगु उनकी रुह से
फिर फासलो कि क्या अहमिहयत
मैने डाली है कश्ती पानी मे
समंदर भी है बेहोश सुनामी से
कश्ती के हजार टुकडो पे
मैने लिखा है नाम तुम्हारा
मै क्युं सुनाऊ यह दास्ता
बार बार तुझे मगर
तु तो है ना मुराद पत्थर
तेरा रुह से क्या वास्ता
मै पहुंचा हुं उस मुकाम पे
खुदा भी कुछ बिघाड न पाये
अरे मै तो रुह का सौदागर
तु तो सिर्फ दर्द का बेपारी
ओ खुदा अब तो रहम कर
सिख ले दानत इसी आदमी से
दर्द के बेपार को छोडकर
तु भी लहरा दे परचम रुह का
मेरे विस्मिल...
अब भी है एक ख्वाईश बाकी
हम दोनो के रुह की मजार पर
तु भी चढा दे तेरी ओर से एक चादर
ऒर ढांल एक तो आंसु
परवरदिगार तेरी आंखो से मगर
सुधाकर