Sunday, May 29, 2011

अब तो पिला दे....एक बोतल मेरे साकी

मुद्द्त से न हमने देखा है वो चेहरा


सपने भी फसाद पर उतरे है साकी

ना जायज रिश्तो के चर्चे है मेरे शहर मे

अब तो पिला दे....एक बोतल मेरे साकी



कितने सपने दिखाये थे तु ने उल्फत मे

कितने जज्बो को दि थी तु ने हवाए

उसी आग मे..झुलस रहा हुं साकी

अब तो पिला दे....एक बोतल मेरे साकी



कितनी मांगी थी मिन्नते मैंने बार बार उनसे

लताडा उसी को..उन्होने बेरहमी से

इसीलिए जहर को ..हमसफर बना दे साकी

अब तो पिला दे....एक बोतल मेरे साकी



बहारे आई थी..कभी चमन मे

जागे थे आरमां मेरे भी मन मे

उसी को रौंदा है..मेरे सनम ने साकी

अब तो पिला दे....एक बोतल मेरे साकी



.....सुधाकर

No comments:

Post a Comment